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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2646
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास

प्रश्न- उन महत्त्वपूर्ण कारणों का उल्लेख कीजिए जिनसे भारत में प्रभुत्व स्थापना के संघर्ष में फ्रांसीसियों को पराजय और अंग्रेजों को सफलता मिली।

अधवा
आंग्ल-फ्रांसीसी संघर्ष में अंग्रेजों की विजय के कारण बताइये।

उत्तर-

फ्रांसीसियों ने एक समय में अपनी राजनैतिक विषयों से भारतीय संसार को स्तब्ध कर दिया परन्तु अंततः वे पराजित हो गये। फ्रांसीसियों की पराजय के मुख्य कारण निम्नलिखित थे-

(1) फ्रांसीसियों का यूरोप में उलझना - 18वीं शताब्दी में फ्रांसीसी सम्राटों के यूरोपीय महत्त्वाकांक्षाओं के कारण उनके साधनों पर अत्यधिक दबाव पड़ा। ये सम्राट फ्रांस की प्राकृतिक सीमाओं को स्थापित करने के लिए इटली, बेल्जियम तथा जर्मनी में बढ़ने का प्रयत्न कर थे तथा वे उन देशों से युद्धों में उलझ गये। वास्तव में उन्हें उस क्षेत्र में कुछ शत वर्ग मील के क्षेत्र की अधिक चिन्ता थी तथा भारत के उत्तरी अमेरिका में कई गुना अधिक बड़े क्षेत्र की कम। फलस्वरूप ये उपनिवेश तो पूर्णतया हाथ - से जाते रहे तथा यूरोप में नहीं के बराबर ही का क्षेत्र उनको मिल सका। इंग्लैण्ड अपने आप को यूरोप से पृथक मानता था तथा उसकी उस प्रदेश में प्रसार की कोई इच्छा नहीं थी। यूरोप में उसकी भूमिका केवल शक्ति संतुलन बनाये रखने की ही है।

(2) दोनों कम्पनियों के गठन में भिन्नता - फ्रांसीसी कम्पनी सरकार का एक विभाग था। कम्पनी 55 लाख लीव (फ्रैंक) की पूँजी से बनाई गयी थी जिसमें से 35 लाख लीव सम्राट ने लगाए थे। इस कम्पनी के डाइरेक्टर सरकार द्वारा मनोनीत किए जाते थे तथा लाभांश (Dividend) सरकार द्वारा प्रत्याभूत था। अतएव उन्हें कम्पनी की समृद्धि में कोई विशेष रुचि नहीं थी। सन् 1721 ई. से सन् 1740. ई. तक कम्पनी उधार लिये धन से ही चलती रही। ऐसी कम्पनी डूप्ले की महँगी महत्वाकांक्षाओं तथा युद्धों की पूर्ति नहीं कर सकती थी।

दूसरी ओर अंग्रेजी कम्पनी एक निजी व्यापारिक कम्पनी थी। उसके प्रबन्ध में कोई विशेष हस्तक्षेप नहीं किया जाता था। प्रशासन इस कम्पनी के कल्याण में विशेष रुचि दर्शाता था। वित्तीय अवस्था अधिक सुदृढ़ थी। व्यापार अधिक था तथा व्यापारिक प्रणाली पहले व्यापार फिर राजनीति। कम्पनी में डाइरेक्टर सदैव व्यापार के महत्त्व पर बल देते थे। पहले व्यापार फिर राजनीति। यह कम्पनी अपने युद्धों के लिये प्रायः पर्याप्त धन अर्जित कर लेती थी। वित्तीय अवस्था से कम्पनी इतनी धनाढ्य थी कि डर था कि कहीं संसार लोभ में न आ जाए।

(3) दोनों कम्पनियों की प्रशासनिक भिन्नताएँ - वास्तव में फ्रांसीसी इतिहासकारों ने अपने राष्ट्र की सफलता के लिए अपनी त्रुटिपूर्ण शासन प्रणाली को दोषी ठहराया है। फ्रांसीसी सरकार स्वेच्छाचारी थी तथा सम्राट के व्यक्तित्व पर ही निर्भर करती थी। महान सम्राट लुई चौदहवें (1648-1715) के काल से ही इस प्रशासन की कमजोरियाँ स्पष्ट हो रही थी। उस काल में अनेक युद्धों के कारण वित्तीय परिस्थिति बिगड़ गयी थी। उसके उत्तराधिकारी लुई पन्द्रहवें ने अपनी रखैलों, कृपापात्रों तथा ऐश्चर्य साधनों पर और भी धन लुटाया। दूसरी ओर इंग्लैण्ड में एक जागरूक अल्पतत्व काम ( Enlightened Obigarety) कर रहा था। यह व्यवस्था उत्तर थी तथा इसने राष्ट्र को दिन-प्रतिदिन शक्तिशाली बना दिया। इतिहासकार अल्फ्रेड लायल ने फ्रांसीसी व्यवस्था के खोखलेपन को ही दोषी ठहराया है।

(4) नौसेना की भूमिका - कर्नाटक के युद्धों ने यह स्पष्ट कर दिया कि कम्पनी के भाग्य का उदय तथा अस्त नौसेना की शक्ति पर निर्भर था। सन् 1746 ई. में फ्रांसीसी कम्पनी को पहले समुद्र में फिर थल पर विशिष्टता प्राप्त हुई। इसी प्रकार सन् 1748-51 ई. तक भी जो सफलता डूप्ले को मिली वह उस समय थी जब अंग्रेजी नौसेना निष्क्रिय थी। सप्तवर्षीय युद्ध के दिनों में यह पुनः सक्रिय हो गयी। उसकी सक्रियता के कारण काउंट लाली, डूप्ले जितनी सफलता प्राप्त नहीं कर सकता और जब फ्रांसीसी समुद्री कप्तान डआश भारतीय समुद्रों से पलायन कर गया तो अंग्रेजों के लिए मार्ग बिल्कुल साफ था और अंग्रेजों की विजय में कोई सन्देह नहीं रह गया था। वाल्टेयर के अनुसार, आस्ट्रिया के उत्तराधिकार के युद्ध में फ्रांस की जल शक्ति का इतना ह्रास हुआ कि सप्तवर्षीय युद्ध के समय उसके पास एक भी जलपोत नहीं था। वरिष्ठ पिट (Pit, The Elder) ने इस वरिष्ठता का पूर्ण लाभ उठाया। न केवल भारतीय व्यापारिक मार्ग खुले रहे अपितु मुम्बई से कोलकाता तक जल मार्गों द्वारा सेना का लाना ले जाना अबाध रूप से चलता रहा। यह जल सेना की वरिष्ठता फ्रांसीसियों को परास्त करने के लिए पर्याप्त थी।

(5) बंगाल में अंग्रेजी सफलता - अंग्रेजों की बंगाल में विजय एक महत्त्वपूर्ण कारण था। न केवल इससे इनकी प्रतिष्ठा बढ़ी अपितु इससे बंगाल का अपार धन व जनशक्ति उन्हें मिल गई। जिस समय काउंट लाली को अपने सेवकों को वेतन देने की चिंता थी, अंग्रेज बंगाल के धन का उपयोग कर रहा था। दक्षिण इतना धनी नहीं था कि डूप्ले तथा लाली की महत्त्वाकांक्षाओं को साकार कर सकता। इतिहासकार : वी.ए. स्मिथ ने कहा है कि, “न अकेले तथा न मिलकर ही डूप्ले तथा बुस्सी जल में वरिष्ठ तथा धन में गंगा की घाटी की वित्तीय स्रोतों के स्वामी अंग्रेजों का परास्त कर सकते थे। पांडिचेरी से आरम्भ करके सिकंदर महान् तथा नेपोलियन भी बंगाल तथा समुद्री वरिष्ठता प्राप्त शक्ति को परास्त नहीं कर सकते थे।" इतिहास मेरियट ने ठीक ही कहा है कि “डूप्ले ने मद्रास में भारत की चाबी खोजने का निष्फल प्रयत्न किया। क्लाइव ने यह चाबी बंगाल में प्राप्त कर ली।"

(6) दोनों कम्पनियों का राजनैतिक नेतृत्व - अंग्रेजी कम्पनी का राजनैतिक तथा सैनिक नेतृत्व फ्रांसीसी कम्पनी की अपेक्षा अधिक उत्तम था। डूप्ले तथा बुस्सी सेनानायक के रूप में क्लाइव की भाँति नया उत्साह नहीं उत्पन्न कर सके। काउंट लाली एक उग्र स्वभाव का व्यक्ति था। वह पांडिचेरी में कम्पनी के सभी कार्यकर्ताओं को धूर्त तथा बेईमान समझता था। उसे यह विश्वास था कि वह डरा धमकाकर सबको ठीक कर लेगा। इतिहासकार मालेसन के अनुसार, "लारेन्स, सान्डर्स, केलियाँड, फोर्ड इत्यादि अनेक अंग्रेजी पदाधिकारी डूप्ले के लॉज, दान्पूल, बेनियर इत्यादि फ्रांसीसी अफसरों से कई गुणा वीर, साहसी तथा उत्तम थे।'

(7) डूप्ले का उत्तरदायित्व - डूप्ले एक उत्तम सेनानायक होते हुए भी फ्रांसीसियों की पराजय के लिए उत्तरदायी था। वह राजनैतिक षड्यंत्रों में इतना उलझ गया कि उसने इन संघर्षो के कुछ पक्षों की ओर ध्यान ही नहीं दिया। उसने कम्पनी के व्यापार तथा वित्तीय पक्षों की अवहेलना की। अतः उनका व्यापार जो पहले भी बहुत अधिक नहीं था, और भी कम होना प्रारम्भ हो गया। डूप्ले यह नहीं समझ पाया कि भारत में दोनों कम्पनियों का संघर्ष वास्तव में यूरोप तथा अमरीका में दोनो राष्ट्रों के संघर्ष का ही एक अंग है। इसके अतिरिक्त उसे अत्यधिक आत्म-विश्वास था और उसने पेरिस में अपने अफसरों को कुछ अति महत्त्वपूर्ण सैनिक तथा सामुद्रिक सामरिक महत्त्वपूर्ण दुर्बलताओं तथा कठिनाइयों के विषय में नहीं बतलाया और यदि उसे सामरिक सहायता नहीं मिली तो यह केवल उसका अपना ही दोष था।

उपरोक्त कारणों से फ्रांसीसी असफल हुए। भारत आंग्ल-फ्रांसीसी औपनिवेशिक संघर्ष के भिन्न युद्ध स्थलों में से एक था तथा उसमें अंग्रेज निश्चित ही भाग्यशाली तथा सफल सिद्ध हुए।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारत में सर्वप्रथम प्रवेश करने वाले विदेशी व्यापारी कौन थे? विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- भारत में डच शक्ति के आगमन को समझाते हुए डचों के पुर्तगालियों व अंग्रेजों से हुए संघर्षो पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- भारत में पुर्तगालियों के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  4. प्रश्न- फ्रांसीसियों के भारत आगमन एवं भारत में फ्रांसीसी शक्ति के विस्तार को समझाइए।
  5. प्रश्न- यूरोपीय डच कम्पनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  6. प्रश्न- अंग्रेजों का भारत में किस प्रकार प्रवेश हुआ संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  7. प्रश्न- यूरोपीय फ्रांसीसी कंपनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  8. प्रश्न- पुर्तगालियों की सफलता के कारण बताइये।
  9. प्रश्न- पुर्तगालियों के असफलता के कारण बताइये।
  10. प्रश्न- आंग्ल-फ्रेंच संघर्ष के विषय में बताते हुए इसके मुख्य कारणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- "अपनी अन्तिम असफलता के बावजूद भी डूप्ले भारतीय इतिहास का एक प्रतिभावान एवं तेजस्वी व्यक्तित्व है।" क्या आप प्रो. पी. ई. राबर्ट्स के डूप्ले की उपलब्धियों के सम्बन्ध में इस कथन से सहमत हैं?
  12. प्रश्न- भारत में अंग्रेजों की सफलता के क्या कारण थे?.
  13. प्रश्न- ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधीन भारत में हुए सामाजिक और आर्थिक अभावों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- अंग्रेजी कम्पनी के अधीन भारत में सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- "भारत में फ्राँसीसियों की असफलता का कारण डूप्ले था।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- भारत में साम्राज्य स्थापित करने में अंग्रेजों की सफलता के कारण बताइये।
  17. प्रश्न- प्लासी के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- बक्सर के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  19. प्रश्न- कर्नाटक के युद्ध अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की सदियों से परम्परागत शत्रुता का परिणाम थे, विवेचन कीजिये।
  20. प्रश्न- द्वितीय कर्नाटक युद्ध के कारणों और परिणामों की व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- उन महत्त्वपूर्ण कारणों का उल्लेख कीजिए जिनसे भारत में प्रभुत्व स्थापना के संघर्ष में फ्रांसीसियों को पराजय और अंग्रेजों को सफलता मिली।
  22. प्रश्न- क्लाइव की द्वितीय गवर्नरी में उसके कार्यों की समीक्षा कीजिये।
  23. प्रश्न- क्लाइव द्वारा बंगाल में द्वैध शासन की विवेचना कीजिये।
  24. प्रश्न- भारत में लार्ड क्लाइव के कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  25. प्रश्न- "प्रथम अफगान युद्ध भारत के इतिहास में अंग्रेजों की सबसे गम्भीर भूल थी।' समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष क्या था? इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- द्वैध शासन व्यवस्था के गुण एवं दोषों की विवेचना कीजिए।
  28. प्रश्न- प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
  29. प्रश्न- बंगाल के कठपुतली नवाबों के कार्यकाल पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- बंगाल के द्वैध शासन से आप क्या समझते हैं?
  31. प्रश्न- द्वैध शासन की असफलता के क्या कारण थे?
  32. प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
  33. प्रश्न- नवाब सिराजुद्दौला के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- भारत में डच शक्ति के उत्थान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  35. प्रश्न- बक्सर का युद्ध (1764) तथा उसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  36. प्रश्न- लॉर्ड क्लाइव द्वारा किये गये सुधारों का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- 'क्लाइव भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था। स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- इलाहाबाद की सन्धि की प्रमुख शर्तें क्या थीं?
  39. प्रश्न- प्लासी युद्ध के महत्व की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- अलीनगर की सन्धि (सन् 1757 ई.) बताइये।
  41. प्रश्न- सिराजुद्दौला के विरुद्ध अंग्रेजों के मीर जाफर के साथ षड्यंत्र को स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- प्लासी के युद्ध (सन् 1757 ई.) के परिणाम बताइये।
  43. प्रश्न- राबर्ट क्लाइव के विषय में आप क्या जानते हैं?
  44. प्रश्न- बक्सर के युद्ध का महत्त्व बताइये।
  45. प्रश्न- बंगाल में द्वैध शासन का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  46. प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
  47. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के सुधारों की विवेचना कीजिए।
  48. प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के अधीन विदेशी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- 1773 के रेग्युलेटिंग ऐक्ट के गुण-दोष क्या थे?
  50. प्रश्न- हैदर अली के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  51. प्रश्न- प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
  52. प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक एवं राजस्व सुधारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  53. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय नन्दकुमार का क्या मामला था?
  54. प्रश्न- मराठों के पतन के क्या कारण थे?
  55. प्रश्न- पानीपत के युद्ध की प्रमुख घटनाएँ क्या थीं?
  56. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय अवध की बेगमों का क्या मामला था?
  57. प्रश्न- लार्ड कॉर्नवालिस के सुधारों की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- बंगाल की स्थायी भूमि कर व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- कार्नवालिस ने वॉरेन हेस्टिंग्ज का कार्य पूर्ण किया। विवेचना कीजिए।
  60. प्रश्न- तृतीय मैसूर युद्ध के क्या कारण थे?
  61. प्रश्न- भूमि कर नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  62. प्रश्न- एक साम्राज्य निर्माता के रूप में वेलेजली की भूमिका का मूल्याँकन कीजिए।
  63. प्रश्न- टीपू और वेलेजली के मध्य चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध की कारणों सहित व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- लार्ड वेलेजली की सहायक सन्धि प्रणाली को समझाते हुए उसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- वेलेजली तथा फ्रांसीसियों के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  66. प्रश्न- टीपू सुल्तान की पराजय के कारण बताइए।
  67. प्रश्न- वेलेजली के अधीन अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार एवं कंपनी के प्रदेश की सीमाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  68. प्रश्न- लार्ड वेलेजली के आगमन के समय भारत की राजनीतिक स्थितियाँ क्या थीं?
  69. प्रश्न- वेलेजली की सहायक सन्धि की शर्तें क्या थीं?
  70. प्रश्न- वेलेजली के अवध के साथ सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
  71. प्रश्न- वेलेजली की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  72. प्रश्न- ठगी को समाप्त करने के लिए लार्ड विलियम बैंटिक ने कहां तक सफलता प्राप्त की?
  73. प्रश्न- ब्रिटिश कम्पनी की भारत में आर्थिक एवं शैक्षिक नीति की विवेचना कीजिए।
  74. प्रश्न- लॉर्ड विलियम बेंटिक के प्रशासनिक एवं सामाजिक सुधारों का मूल्यांकन कीजिए।
  75. प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा तथा अन्य क्रूर प्रथाओं को बन्द करने की क्या नीति अपनाई? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  76. प्रश्न- विलियम बैंटिक के समाचार पत्रों के प्रति उदार नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  77. प्रश्न- विलियम बैंटिक के द्वारा नैतिक तथा बौद्धिक विकास के लिए किये गये शैक्षणिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- बैंटिक के वित्तीय तथा न्यायिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  79. प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- ब्रिटिश भारत में स्त्रियों की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- भारत पर ब्रिटिश शासन के सामाजिक प्रभाव का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
  82. प्रश्न- अंग्रेजों द्वारा पारित सामाजिक कानून पर निबन्ध लिखिए।
  83. प्रश्न- 1833 के चार्टर एक्ट पर एक टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- लार्ड डलहौजी की 'हड़पनीति से आप क्या समझते हैं? इस नीति से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को कैसे प्रोत्साहन मिला?
  85. प्रश्न- - डलहौजी के द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा विद्युत तार एवं डाक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  87. प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा रेलवे विभाग में क्या सुधार किये गये?
  88. प्रश्न- लार्ड डलहौजी के प्रशासनिक एवं सैनिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  89. प्रश्न- भारत के आधुनिकीकरण में लार्ड डलहौजी का योगदान क्या था?
  90. प्रश्न- लार्ड डलहौजी को शिक्षा सम्बन्धी सुधारों में कहां तक सफलता प्राप्त हुई? स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- 1853 के चार्टर एक्ट पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- रणजीत सिंह का परिचय देते हुए अफगानों एवं अंग्रेजों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  93. प्रश्न- अंग्रेजों और सिक्खों के प्रथम युद्ध के कारण व प्रसिद्ध घटनाओं और परिणामों का वर्णन कीजिये।
  94. प्रश्न- रणजीत सिंह का डोंगरों और नेपालियों से सम्बन्ध को संक्षिप्त में समझाइये |
  95. प्रश्न- रणजीत सिंह के प्रशासन के अंतर्गत भूमिकर एवं न्याय प्रशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- रणजीत सिंह ने सैनिक प्रशासन में कहाँ तक सफलता प्राप्त की? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  97. प्रश्न- प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- सिक्खों और अंग्रेजों के सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  99. प्रश्न- हैदराबाद के एक राज्य के रूप में उदय की परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
  100. प्रश्न- हैदराबाद अकस्मात ही विघटनकारी शक्तियों का शिकार हो गया था, विवेचनात्मक उत्तर दीजिये।
  101. प्रश्न- 1724-1802 तक की हैदराबाद की राजनीतिक गतिविधियों का अवलोकन कीजिये।
  102. प्रश्न- टीपू की शासन प्रणाली का सविस्तार से वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- मैसूर राज्य का विस्तृत अध्ययन कीजिए।
  104. प्रश्न- एंग्लो-मैसूर युद्धों का समीक्षात्मक अध्ययन कीजिये।
  105. प्रश्न- टीपू सुल्तान और मैसूर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  106. प्रश्न- मैसूर व इतिहास लेखन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  107. प्रश्न- 18वीं सदी में, मैसूर की स्थिति से संक्षिप्त रूप से परिचित कराइये।
  108. प्रश्न- 1399 ईस्वी से अठारहवीं सदी के मध्य मैसूर राज्य की स्थिति से अवगत कराइये।
  109. प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त से क्या आशय है? लार्ड कार्नवालिस द्वारा स्थायी बंदोबस्त लागू करने के क्या कारण थे?
  110. प्रश्न- ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर भिन्न-भिन्न कर प्रणाली लगाने का क्या उद्देश्य रहा?
  111. प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त ने किस प्रकार जमींदारी व्यवस्था को जन्म दिया?
  112. प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण के कारणों, परिणामों एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
  113. प्रश्न- 19वीं शताब्दी के प्रमुख सामाजिक-धार्मिक आन्दोलनों को बताइये।
  114. प्रश्न- क्या राजा राममोहन राय को 'आधुनिक भारत का पिता' कहना उचित है?
  115. प्रश्न- भारतीय सामाजिक तथा धार्मिक पुनर्जागरण में आर्य समाज की देनों का उल्लेख कीजिए।
  116. प्रश्न- ब्रह्म समाज के प्रमुख सिद्धान्तों व कार्यों का वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- भारत के सामाजिक-धार्मिक पुनरुत्थान में स्वामी विवेकानन्द के योगदान का विवरण दीजिए।
  118. प्रश्न- 19-20वीं सदी के जातिवाद विरोधी आंदोलनों का वर्णन कीजिए।
  119. प्रश्न- अहिंसा और सत्याग्रह पर गाँधी जी के विचारों का मूल्याँकन कीजिए।
  120. प्रश्न- रामकृष्ण परमहंस पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  121. प्रश्न- अछूतोद्धार हेतु भीमराव अम्बेडकर के किए गये कार्यों का वर्णन कीजिए।
  122. प्रश्न- आधुनिक भारत में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  123. प्रश्न- एक शासक के रूप में अशोक के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  124. प्रश्न- अस्पृश्यता से आप क्या समझते हैं? इसकी समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  125. प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण का क्या अर्थ है?
  126. प्रश्न- ब्रह्म समाज से आप क्या समझते हैं?
  127. प्रश्न- प्रार्थना समाज ने समाज सुधार की दिशा में क्या कार्य किए?
  128. प्रश्न- ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के समाज सुधार में किए गए कार्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  129. प्रश्न- आर्य समाज की मुख्य शिक्षाएँ व समाज सुधार में किए गए योगदान का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- थियोसोफिकल सोसाइटी पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  131. प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  132. प्रश्न- भारत में 19वीं सदी में हुए विभिन्न सुधारवादी आन्दोलनों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  133. प्रश्न- अश्पृश्यता निवारण के लिए महात्मा गाँधी की सेवाओं का मूल्याँकन कीजिए।
  134. प्रश्न- 20वीं सदी में हुए प्रमुख सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  135. प्रश्न- समाजवाद पर नेहरू के विचारों का उल्लेख कीजिए।
  136. प्रश्न- आधुनिक काल में जाति प्रथा पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  137. प्रश्न- भारतीय समाज पर पड़े दो पाश्चात्य प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
  138. प्रश्न- नाविक विद्रोह 1946 का महत्व स्पष्ट कीजिए।
  139. प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
  140. प्रश्न- होमरूल से आप क्या समझते हैं?
  141. प्रश्न- साम्प्रदायिक निर्णय 1932 ई. की समीक्षा कीजिए।
  142. प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  143. प्रश्न- श्री अरविन्द घोष के जीवन पर प्रकाश डालिए।
  144. प्रश्न- रामकृष्ण मिशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  145. प्रश्न- चैतन्य महाप्रभु पर एक टिप्पणी लिखिए।
  146. प्रश्न- 'पुरुषार्थ आश्रमों के मनोनैतिक आधार हैं। टिप्पणी कीजिए।
  147. प्रश्न- उन्नीसवीं सदीं में सामाजिक जागरण के क्या कारण थे?

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